मेरी इस कविता को मेरी आवाज मे सुनने के लिए आपलोग इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
राह मे चलते हुए राही को देखा…..
अपने को ज़रा सा लाचार और
असहाय दिखा रहा था……
बार बार ईश्वर को दोष दे रहा था…..
अपनी किस्मत खराब होने का
रोना रो रहा था…..
राही की सोच पर क्रोध आ गया…..
लेकिन मन मे सुविचार ला गया….
राही के आत्मविश्वास को ज़रा
ऊपर उठाते हैं…..
रोते और सोते हुए राही को चलो जगाते हैं…..
ऐ किस्मत !चल तुझे सँवारते हैं….
ज़रा सा काम करने का अंदाज बदल कर
सामने आते हैं….
छोड़ कर के बहाने तमाम……
कर ले कुछ सार्थक काम….
चल तेरी किस्मत को सफलता के मापदंड
पर आज़माते हैं…..
ऐ किस्मत !चल आ तुझे सँवारते हैं…
जीवन मे देते हैं सिर्फ सकारात्मकता को स्थान…..
लेकिन आत्मसम्मान को कभी नहीं भुलाते हैं…..
ऐ किस्मत !चल आ तुझे सँवारते हैं…..
राह मे मिलेंगी मुश्किलें तमाम…..
लोगों से मिलेंगे धोखे हजार……
मजबूत इरादों के साथ कदमों को आगे बढ़ाते हैं….
हिम्मत के साथ सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते जाते हैं….
ऐ किस्मत! चल आ तुझे सँवारते हैं…..
सुन राही!मत खोजना दूसरों की नज़रों मे
खुद के लिए सम्मान…….
क्योंकि छलकेगा हमेशा बनावटीपन और
धोखे का जाम…..
आँखों को ईश्वर की बंदगी मे लगाते हैं…..
ऐ किस्मत ! चल आ तुझे सँवारते हैं…..
आगे बढ़ते हुए कदमों को पीछे खींचने
वाले लोंग मिलेंगे तमाम….
ऐसे नापाक इरादों को झुठलाते हैं….
ऐ किस्मत ! चल आ तुझे सँवारते हैं….
अब तो कर ले मेहनत और ईमानदारी से काम….
अभिमान को ज़रा दूर से ही भगाते हैं…..
ऐ किस्मत! चल आ तुझे सँवारते हैं…..
सफलता की मंज़िल तक पहुँचने का उद्देश्य
शोहरत और धन ही मत रख राही…..
ज़रा सा कम मे ही जीवन को
आत्मसम्मान के साथ बिताते हैं….
ऐ किस्मत !चल आ तुझे सँवारते हैं….
( चित्र internet के द्वारा )
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Bahut acha g
😊