(27th April 2017)
“Fire is the cornerstone of our lives .Though hidden, it is the most important part of our lives and provides us with food .”
इस पोस्ट को लिखने का ख्याल मुझे, रसोई मे खाना बनाते समय आया था ।
जिसमे मैने आग के सकारात्मक और नकारात्मक दोनो रूप की तुलना करना शुरू किया, तब कुछ पंक्तियाँ बनती चली गयी।
हर व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण समय रसोई मे बीतता है । कभी अपनी पसंद का कुछ बनाना होता है ,कभी घर के अन्य सदस्यों को कुछ खिलाना होता है ।
अलग ही दुनिया होती है रसोई की ….
“ये रसोई की दुनिया भी बड़ी अजीब होती है किसी दिन उसी रसोई मे व्यंजन की भरमार तो किसी दिन केवल खिचड़ी की दरकार होती है “
रसोई मे जलने वाली अग्नि भी कितना
सार्थक काम करती है…..
जलती है मध्यम कभी तीव्र लेकिन
भोजन पकाने का काम करती है…..
इस अग्नि के रूप अनेक…
धधकती है जब तीव्र रूप मे
कितना विनाश करती है….
पता चलता है हम इंसानो को तब
जब ये दावानल का रूप धरती है….
जलती है जब हवन कुण्ड मे
स्वधा को स्वाहा करती है….
जलती है जब “दीपशिखा” बनकर
कितनी शांत सी दिखती है….
चलती हुयी तेज हवाओं के थपेड़ों को
अपनी तेज और मद्धिम होती हुयी
रोशनी से झेलती है…..
भगा देती है तिमिर को
अपनी ज्योति से प्रकाशित करती है…..
दिये की जोत मे जलती हुई अग्नि !
सकारात्मकता को बिखेरती है……
मानव मन के भीतर आशा और विश्वास को
प्रज्वलित करती है…..
देखा बड़े ध्यान से अग्नि को
भोजन को पका रही थी…..
अपनी तेज और मद्धिम होती हुयी आँच से
मेरे दिमाग मे विचारों को भी ला रही थी…..
जलाना होता है दीपक मंदिर मे जब भी
प्रणाम करना होता है हमेशा अग्नि देवता को भी…
रसोई की दुनिया हमेशा
अग्नि के साथ होती है….
न हो अग्नि अगर रसोई मे
तो रसोई किसी काम की नही होती है….
हमेशा अग्नि की सकारात्मकता
ही ध्यान मे आती है….
क्योंकी सकारत्मक भाव से जलायी गयी
अग्नि ही ,स्वादिष्ट भोजन को पकाती है….
अग्नि के महत्व को हम भूल नही सकते….
क्योंकी पाषाण युग मे हम अब रह नही सकते….
इसी बात पर अग्नि देवता को
करते हैं प्रणाम….
रोज के खाने को करते हैं
केवल उनके ही नाम….
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कहते है अग्नि ही ऐसे देवता है , जिन्हे आवाह्नन कर बुलाया जा सकता है. आपने उनके सम्मान में खूबसुरत रचना लिखी है. बहुत खूब !!i
एक बार फिर से मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये धन्यवाद 😊